ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि हर व्यक्ति की कुंडली (Birth Chart) उसके जीवन की दिशा और कार्यक्षेत्र को निर्धारित करती है। यदि कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि उसे नौकरी करनी चाहिए या व्यवसाय, कौन-सा कार्य लाभदायक रहेगा या फिर उसका काम विदेश में चलेगा या नहीं — इसका उत्तर केवल कुंडली के विभिन्न भावों की सक्रियता (Activation of Houses) देखकर ही दिया जा सकता है।
किसी भी व्यक्ति के काम और करियर को समझने के लिए ज्योतिषी निम्नलिखित भावों पर ध्यान देते हैं:
काम करने के लिए व्यक्ति का स्वयं उपस्थित होना जरूरी है।
इसका अर्थ है कि प्रथम भाव का सक्रिय होना अनिवार्य है।
यदि छठा भाव सक्रिय है, तो व्यक्ति नौकरी की ओर अग्रसर होता है।
यदि सातवां भाव सक्रिय है, तो व्यवसाय करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।
दशम भाव यह बताता है कि व्यक्ति किस क्षेत्र में कार्य करेगा।
यही भाव करियर की दिशा और प्रोफेशन को दर्शाता है।
काम तो हर कोई करता है, लेकिन उससे लाभ मिलेगा या नहीं, यह ग्यारहवें भाव से तय होता है।
यह भाव आर्थिक स्थिरता और कमाई की स्थिति को दर्शाता है।
यदि बारहवां भाव सक्रिय है, तो कार्य विदेश में स्थापित हो सकता है।
अन्यथा व्यक्ति का कार्य जन्मस्थान या देश के भीतर ही रहेगा।
किसी भी व्यक्ति के करियर से जुड़े प्रश्न का उत्तर सिर्फ अनुमान या तुक्के से नहीं दिया जा सकता। ज्योतिष में एक सटीक एलाइन्मेंट (Alignment of Houses) चेक करनी पड़ती है। जब ये भाव सही क्रम में सक्रिय होते हैं, तभी करियर की दिशा और सफलता स्पष्ट होती है।